कला एवं शिल्प
कला एवं शिल्प
कला शिक्षण का उद्देश्य कलाकार का निर्माण नहीं बल्कि कलाबोध और कलात्मक व्यवहार को विकसित करना है। इसके लिए अलग से कला विषय की ज़रूरत नहीं है बल्कि हर विषय के शिक्षण में, शाला की साज-सज्जा में, और दैनिक व वार्षिक गतिविधियों में कलात्मकता का पुट समाहित करना आधिक उपयोगी है । पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय सिद्धार्थनगर में हस्त कला या शिल्प कला की शिक्षा से विद्यार्थियों की सृजनात्मक, रचनात्मक, काल्पनिक, अभिव्यक्ति विकसित किया जा रहा है । कला की शिक्षा से प्रयोगात्मक कार्य की प्रवृत्ति , शारीरिक और मानसिक दोनों का ही विकास हो रहा है | विद्यार्थियों को हस्त कला की शिक्षा से एनईपी 2020 के अनुरूप दी जा रही है |कला का अपरिमित क्षेत्र है वह विज्ञान तथा अन्य सभी विषयों से सम्बन्धित है,इसलिए अन्य विषयों को कला विषय से जोड़कर सीखने की प्रक्रिया को आसान एवं रुचिकर किया जा सके | उन्हें कला की शिक्षा के अन्तर्गत किसी बेकार वस्तु को सुन्दर बनाना, मिट्टी से रूप सृजित करना, अपनी अध्ययन की सामग्री को सजाकर रखना, अपने अध्ययन के कक्ष को स्वच्छ तथा सुन्दर बनाना, बौद्धिक चिन्तन करना एवं अन्य उपयोगी शिल्पों के बारे में ज्ञान दिया जा रहा है | विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिताओ में प्रतिभाग कराया जाता है तथा जिससे उनमें हस्त कला या शिल्प कला में और अधिक सुधार आये | हस्त कला या शिल्प कलाद्वारा स्वयं करके सीखने की आदत उत्पन्न करती है , जिससे छात्र के अनुभव बढ़ें और छात्र का बौद्धिक विकास हो।